अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Friday, February 10, 2012

"कुछ मुख्तलिफ से "अश आर "

यूँ कब तलक बसोगे, खफा की, खारदार वादियों में
तुझको  छूकर, आने वाळी हवा भी  बेहद  जख्मी है
~~~S-ROZ~~~
 मै खामोश समंदर,कैसे ना करूँ तूफां की आरजू
वो ही इक शय है ,जो तेरे होने के गुमां देता है
~~~S-ROZ ~~~
ये "दिल"खुद के रोने पे अफ़सोस तक नहीं करता
गर ,जो "वो" रो दे तो कमबख्त बैठ सा जाता है
~~~S-ROZ ~~~
तुम्हे मकानों की आरजू थी , मेरी तमन्ना थी एक घर की
मकानों के मालिक तुम बन गए,रहे तरसते हम इक घर को 
~~~S-ROZ ~~~
हम तो समझे थे के वो "रब" के हैं
अरे धत्त!वो तो बस "मजहब" के हैं
~~~S-ROZ ~~~
वो जब तलक उड़ता रहा हाथो ही हाथ रहा
कटकर जो उलझ गया,अब कोई पूछता नहीं
~~~S-ROZ ~~~

Sunday, February 5, 2012

"टूटी हुयी मूरत "

एक ढेले की मिटटी लेकर
बेमानी को मानी देकर
बना डाली,मूरत प्यार की
मुक़द्दस दिल में उसे बसाया भी
बड़ी शिद्दत से उसे पूजा भी
जाने कैसे तो .........
बीती शब् की आंधी में
कुछ तो टूटा उसका
दिल था शायद .............
हो सके तो उसे
दरिया में दफना देना
क्यूंकि,.....टूटी हुयी मूरत !
इबादत के काबिल नहीं होती !
~~~S-ROZ~~~

Friday, February 3, 2012

"रिश्ते और कपडे "

"रिश्तों के मैले कपडे आजकल
अना की वाशिंग मशीन में धुलते हैं
जो  साफ तो हो जातें  हैं
पर कुछ चक़त्ते  रह जाते हैं
जिन्हें "सब्र हाथों" से ही रगड़कर
साफ करना होता है
मशीन से धुले कपड़ों में,
शिकवे ,शिकायतों की
शिकनें भी बहुत पड़तीं है
जो शिद्दत  की हलकी इस्त्री से
मिटती भी नहीं .....
बहरहाल ...........
दिल की तसल्ली को
कपडे बदल भी दें
मगर रिश्तों को कैसे ........?
~~~S -ROZ ~~~
 

Wednesday, February 1, 2012

मेरी मुक्ति का दिवस

तुम्हारी प्रेमपूरित पृथ्वी से
प्रेम की आकांक्षा में
प्रेमहीन.!.......जब मेरी
विदा लेने की घडी आएगी
तब मै निशब्द,निःसंकोच
चिर विदा लुंगी
बाद मेरे ............
कही कुछ नहीं बदलेगा
रह जायेगा तो
कुछ विशेषण!
निर्बाध गति से ......
चलने वाळी
इस जीवन धारा में
एक क्षण ऐसा आएगा
जब, तुम्हे मेरा स्मरण होगा
तब तुम,मेरे संजोये
किसी एक स्वप्न को,
याद कर लेना !
और तुम्हारे प्रांगण से,
कभी कोई फूल झर कर
तुम्हारे चरणों में आ गिरे
उसे तुम चूमकर,
दृदय से लगा लेना
और कहना...............,
प्रिय,मैंने तुम्हे पा लिया!
वह मेरा श्राद्ध होगा
मेरी मुक्ति का दिवस !
~~~~S -ROZ ~~~