अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Tuesday, December 13, 2011

"तुम्हारे दो शब्द "

शब्दों के हेर फेर से ,
चाहे कुछ भी लिख लूं
पर तुम्हारे दो शब्द
देते हैं अर्थ मिटटी का
जिसमे सूखे बीज भी ,
अंकुरित हो उठते हैं
और अनायास ही,
आने लगती है
अनखिले फूलों की सुगंध !!
~~~S-ROZ~~~

4 comments:

  1. चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई

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  3. सुषमा जी/सुनील कुमार जी/एवं सागर जी आप सभी कि सराहना एवं प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार!!

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