अधूरे ख्वाब


"सुनी जो मैंने आने की आहट गरीबखाना सजाया हमने "


डायरी के फाड़ दिए गए पन्नो में भी सांस ले रही होती है अधबनी कृतियाँ, फड़फडाते है कई शब्द और उपमाएं

विस्मृत नहीं हो पाती सारी स्मृतियाँ, "डायरी के फटे पन्नों पर" प्रतीक्षारत अधूरी कृतियाँ जिन्हें ब्लॉग के मध्यम से पूर्ण करने कि एक लघु चेष्टा ....

Saturday, October 9, 2010

"एहसास "

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‎"ये गुब्बारे भी के क्या खूब होते हैं ...,
जरा सी हवा में ही , अर्श को आशियाँ समझ लेते हैं
नादाँ है !उन्हें ये इल्म नहीं ..,के .............
एक चुभन ही काफी है फर्श पे फ़ना होने को ......."
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"आग, के दरिया में घर बनाने का हुनर' रखना,
और कलेजे, में मदमस्त समंदर" रखना,
बेहद जरुरी है ,इन हवाओं का रुख बदलना ,
वरना जुल्मोंसितम - हादसा और भी बदतर होगा "
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"जीते रहे अपने लिए तो क्या जीए
मरते रहे मरने के लिए तो क्या मरे "
"जाने से  से पहले काम कुछ ऐसा करें
दे जाएँ अपना ये  नूर किसी बेनूर के लिए "
"खाक से बने हैं हम खाक में मिल जायेंगे
हम फिर इससे  इतनी चाहत क्यूँ करें "
"उन्ही  नजरों से जल उठेंगे  दो बुझे  दिए"
जीते रहे अपने लिए तो क्या जीए "
 
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‎"आइना" भी क्या खूब 'कारसाज' है
जैसा दिखतें है 'हम, वैसा दिखाने में 'होशियार' है
बखूबी, वो झांक सकता है हमारे भीतर भी
पर हमारी 'रूहों' को देख वो खुद भी 'शर्मसार' है "
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"फुर्सत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है,
फिर हम ये क्यूँ सोचें के पूरी उम्र पड़ी है ...
गम औ ख़ुशी से तो अभी आंख लड़ी है ,
जिंदगी शमा लिए देखो दर पे खड़ी है
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"मुखबिरी तेरी आँखों के क्या कहने ...

जो छिपाती  हूँ वही पढ़ लेते हो .....

मेरे ग़मों को  बाँट के........

अपने दर्द क्यूँ  जकड लेते हो ?"

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"तन्हा है सफ़र ........... बेख़ौफ़ है ,डगर .......चलने दो.मुझे , ......रोका गया तो ...............काफिला बन जायेगा" 

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 ‎"जहाँ जाते है सब........,हम वहां जाते नहीं ,..........तयशुदा रास्ते........... हमें रास आते नहीं "........."

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"अब तलक जुगनुओं के आस पर थी जिंदगी बशर ....
सूरज ने तो अब किया है रौशन जहां मेरा 

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 ‎"तब खुले घरों के आँगन में,
अलगनियां डाल कपडे सुखाते थे ,
अब बंद सिटखनियों में ,......
मशीनों से कपडे निकलते हैं निचुड़े निचुडाय हुए.
तब घरों में भागते फिरते थे इधर उधर ,
...अब फ्लेटों में रहते है सिमटे सिमटाय हुए "....................

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 ‎"कोई साथ ना दे , गिला नहीं है मुझे,......, मेरा साथ ही काफिला है मुझे ......."

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2 comments:

  1. सरोज जी,

    बहुत खूब.......कुछ शेर बहुत पसंद आये........शुभकामनायें |

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